दिन-रात परिश्रम करके जनता
दो वक्त की रोटी कमाते हैं,
चुनाव आते ही ये सब भूलकर
अपना कीमती वोट गवाँते हैं।
इन बातों से बेख़वर नेता
अपनी तिजोरियाँ भर जाते हैं,
इन पैसों से गाऊँ में जाकर
खूब रंग रैलियाँ मनाते हैं।
डांस करते गाना गाते
जीवन का लुप्त उठाते हैं
और साधन उपलब्ध हो तो
न डी तिवारी बन जाते है।
भ्रष्टाचार से व्यथित जानता
सड़को पर आ जाते है,
और अन्ना के साथ मिलकर
वन्दे मातरम् गाते है।
भ्रष्टाचार से वलखती जनता
रामदेव के साथ आते है,
काला धन वापस लाने का
बाबा ! जनता में अलख जगाते है।
रामलीला मैदान में जाकर
अनशन करने जाते है
किंतु सरकार के षड्यंत्र का
बाबा शिकार हो जाते है
रविशंकर, मोरारी बापू
उन्हें आकर मानते है
अन्तत: बाबा अनशन तोड़
समीज-सलवार की बात पर शर्माते है।
किन्तु यह उनका निर्णय
हमें गहरी सोच में डुबाते है
हम कहते है, अरे मूर्ख
औरों का वस्त्र पहनने से नहीं
वस्त्र उतारने से बेशर्म खेलते है।
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