जनता की खून पसीनों से कमाई वाला धन
मंत्रियों द्वारा विदेशी बैंकों में डाला धन
जिसको लाने के लिए नहीं पिघल रहा सरकार का मन
जिसके विरोध में बाबा को ढकना पड़ा समीज-सलवार से तन
उसे पाए बिना नहीं रह सकता, संत !
भारत की १२१ करोड़ जनता का मन
ऐ वतन - ऐ वतन - ऐ वतन
तुम पर न्योछावर है मेरे शरीर का
एक - एक - कण, एक - एक - कण, एक - एक - कण
तुम्हे लूटने के लिए साँप की तरह खुले पड़े हैं
कई नेताओं के फन, नेताओं के फन, नेताओं के फन
किन्तु अबकी बार इसे, सबक सिखाने के लिए
जाग चुके हैं, भारत के १२१ करोड़ जान।
अबकी बार खड़े हो उठे हैं
अन्ना और बाबा, गाँधी और चाणक्य बन
ऐ वतन - ऐ वतन - ऐ वतन
तुझे शत - शत नमन, शत - शत नमन, शत - शत नमन
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