घुटनों से रेंगते-रेंगते
कब पैरों पर खड़ी हो गई।
तेरी ममता की छावों में
जाने कब बड़ी हुई।
काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा है।
मैं ही मैं हूँ हर जगह
प्यार ये तेरा कैसा है।
सीधी-साधी भोली-भाली
मैं ही सबसे अच्छी हूँ।
कितनी भी बड़ी हो जाऊँ
माँ मैं आज भी तेरी बच्ची हूँ|
1 Comments
Yess 🥺🥺🥺
ReplyDelete