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कौन रखता है कविता | Kaun Rakhata Hai kavita | Short Hindi Poem | Hindi Poem On Life




पत्थरों के शहर में कच्चे मकान

कौन रखता है.!! 

आजकल हवा के लिए रोशनदान

कौन रखता है.!!


अपने घर की कलह से फुरसत

मिले..तो सुने ना,!! 

आजकल पराई दीवार पर कान

कौन रखता है..!!


जहां,जब,जिसका,जी चाहा वहाँ

थूक दिया.!! 

क्योंकि आज कल हाथों में पीकदान कौन

रखता है!!


खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं।

चिड़ियों को.!! 

आजकल परिंदों मे जान कौन

रखता है.!!


हर चीज मुहैया है मेरे शहर में

किश्तों पर.!!

 लेकिन हसरतों पर लगाम

कौन रखता है.!!


बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम

में मां बाप को!! 

क्यूँकी आजकल घर में पुराना

सामान कौन रखता है!!


ज्ञान बांटने में पीछे नहीं है शोसल मीडिया

पर!!

दिल में छुपे हुए शैतान को,कोन बाहर रखता

है!!


बातें करते हैं बड़ी,बड़ी माँ बहनो की इज्जत

करने की !! 

खुद में कुपे हवस के पुजारी को कोन जाहर

रखता है !!

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