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हमारे देश की गाथा, विरासत की निशानी है | स्वतंत्रता दिवस पर कविता | Poem on Independence Day in Hindi

स्वतंत्रता दिवस पर कविता



हमारे देश की गाथा
विरासत की निशानी है

नहीं ये चंद पन्नों की
ये लंबी सी कहानी है-2

हमारे घर के सिरहाने
कोइ भूखा नहीं सोया

हमारी संस्कृतियों ने
सदा ही पुष्प ये बोया

भले ही हम रह जाएं प्यासे-2
साधू की प्यास मानी है

नहीं ये चंद पन्नों की
ये लंबी सी कहानी है-2

हमारे देश की गाथा
विरासत की निशानी है-2

घिरे अज्ञान के तम से
विश्व में ज्ञान लाया है

वेद का वृक्ष भारत की
धरा ने ही उगाया है...

यहाँ चारों दिशाओं में-2
गूंजती वेद वाणी है

नहीं ये चंद पन्नों की
ये लंबी सी कहानी है-2

हमारे देश की गाथा
विरासत की निशानी है-2

यहाँ वचनों की रक्षा में
कोई सब त्याग जाता है

प्रेम का मान इतना कि
विदुर का घर सुहाता है

यही पर बुद्ध के तप ने-2
बुद्धि में ज्योति सानी है

नहीं ये चंद पन्नों की
ये लंबी सी कहानी है-2

हमारे देश की गाथा
विरासत की निशानी है-2

बड़े योगी तपी ध्यानी
इसी मिट्टी में उतरे है

इसी मिट्टी में दर्शन के
अनेकों पृष्ठ उभरे है

यहाँ हर विधा बस्ती है-2
ये सबकी राजधानी है

नहीं ये चंद पन्नों की
ये लंबी सी कहानी है-2

हमारे देश की गाथा
विरासत की निशानी है-2

यहाँ का बाल योद्धा भी
सिंह के दाँत गिनता है

यहाँ की शौर्य गाथा से
शौर्य को मान मिलता है

शिवाजी भी यहीं के थे-2
यहीं राणा की धानी है

नहीं ये चंद पन्नों की
ये लंबी सी कहानी है-2

हमारे देश की गाथा
विरासत की निशानी है-2

जय हिंद जय भारत

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