मद्य निषेध से तात्पर्य है मद्य अथवा मदिरा के पिने पर रोक लगाना। भारत जैसा निर्धन देश में जहाँ मदिरापान करना एक विलासिता हैं, मद्य निषेध अत्यंत आवश्यक है। यद्यपि मद्यपान आधुनिक समाज के लिए अनिवार्य-सा बन गया है परन्तु फिर भी इसके अनेक दुष्प्रभाव हैं। मद्यपान धन के अपव्यय का कारण तो बनता ही हैं साथ ही स्वास्थ्य का भी नाश कर देता है। वह व्यक्ति की आंतरिक व बाह्य सभी प्रकार की सुंदरता को नष्ट कर उसे भद्दा एवं कुरूप बना दिया करता है। इतना सब होने पर भी मद्यपान करने वाले व्यक्ति इसे अमृत कहते हैं। और जो इसे नहीं पिता वे ही इससे घृणा की दृष्टि से देखते हैं। मद्यपान के अनेक आदि और समर्थक बड़े गर्व से मदिरापान को 'सोमरस' का नाम दे दिया करते हैं। वे कहते हैं की 'सोमरस' का हमारे देवता पान करते थे यदि हम कर लिए तो क्या बुरा किया ?
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