भारत देश में अनेक धर्म और जातियों के लोग होते हैं, जो अपनी संस्कृति के हिसाब से त्योहार मनाते हैं इनमें से एक है 'बतुकम्मा' या 'बठुकम्मा' त्योहार। यह त्योहार तेलंगाना के एक क्षेत्रीय त्योहार है, जो नीचे वर्ग की महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इसे 'फूलों का त्योहार' भी कहा जाता है, क्योंकि इस पूजा में अनेक प्रकार और रंग के फूलों का उपयोग किया जाता है। 'बतुकम्मा' त्योहार यहाँ की संस्कृति और पारंपरिक भावनाओं को दर्शाता है।
इस त्योहार में महिलाओं को विशेष मान्यता दी जाती है और यह त्योहार स्त्री के सम्मान में मनाया जाने वाला होता है। इस दिन, महिलाएं सात परतों के साथ गोपुरम मंदिर की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं। यह पूजा महालय अमावस्या में मनाई जाती है और नवरात्रि के अष्टमी के दिन आता है।
यह हज़ारों साल पुराना त्योहार है और इसमें माँ पार्वती की पूजा की जाती है। भारत देश में कई सारे ऐसे त्योहार हैं जो हमारी संस्कृति को प्रकट करते हैं, और 'बतुकम्मा' इनमें से एक है। 'बतुकम्मा' का अर्थ होता है 'जीवन में वापस आ जाओ, माँ' और यह देवी सती से वापस लौटने की प्रार्थना है, और स्त्री उनकी पूजा करती है महागौरी के रूप में। यह त्योहार तेलंगाना की हर महिला द्वारा मनाया जाता है, प्रकृति को धन्यवाद देते हुए विभिन्न प्रकार के फूलों के साथ इसका आयोजन किया जाता है। यह त्योहार पूरे राज्य में मान्यता प्राप्त है।
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