जिसने कर दिया भारतीय
अर्थवस्था को लाचार,
उस रोग का नाम है
भ्रष्टाचार ! भ्रष्टाचार ! भ्रष्टाचार !
हमे आपसे विनती
यही है बारम्बार,
मत करो भ्रष्टाचार, मत करो भ्रष्टाचार
ये तो सच है कि
अर्थ के बिना सब कुछ व्यर्थ है,
परन्तु, आप केवल अर्थ के बारे में ही सोंचे
ये भी तो अनर्थ हैं।।
हम तो रावण और हिटलर में भी कोई न कोई अच्छाई ढूंढ़ लेते हैं
और ये जालिम जमाना जो राम और महात्मा गाँधी में भी कोई न कोई बुराई ढूंढ लेते हैं।।
महिलाओं को मिले भारतीय समाज में पूरा-पूरा
सम्मान तभी जाग सकेगा भारत का स्वाभिमान।।
भारत को शोने की चिड़िया
यदि पुनः बनना है,
शोषित, पीड़ित, अभिशापित बच्चों को
एक-एक कर पढ़ना है।
बुरे कर्म से डरना सीखो,
यूँ ही जान मत गँवाओ
भगत सिंह कि तरह मरना सीखो।
जिसने देश को मान दिया
जीने को स्वाभिमान दिया,
भगत सिंह हैं असली हीरो
जिसने देश के खातिर प्राण दिया।
अवसर अनंत है यहाँ,
तू सोच ले जाना कहाँ,
अब मत देख यहाँ-वहाँ,
अर्जुन की भाँति नयन को,
टिका दे लक्ष्य है जहाँ ।।
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