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था दिव्य पुरुष था दिव्य अंश था था काल भी मुझसे डरता कर दूं परास्त देवों को भी इतना भुजाओं में बल था। था तेज अलौकिक…
मुस्कुराओ, अगर आज कहीं से हार गए हो, किसी को उस जीत की तुम से ज्यादा जरूरत थी शायद, मुस्कुराओ, अगर कुछ खो गया है, जिसके…
उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है नई उम्रों की ख़ुदमुख़्तारियों …
नदी बोली समन्दर से, मैं तेरे पास आई हूँ मुझे भी गा मेरे शायर, मैं तेरी ही रुबाई हूँ मुझे ऊँचाइयों का वह अकेलापन नहीं भा…
आइए महसूस करिए जिंदगी के ताप को मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको जिस गली में भुखमरी की यातना से ऊब कर मर गई फुलिया ब…
जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे कमीशन दो तो हिंदुस्तान को नीलाम कर देंगे सुरा व सुंदरी के शौक़ में डूबे हुए …
न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ, मगर यामिनी बीच में ढल रही है। दिखाई पड़े पूर्व में जो सितारे, वही आ गए ठीक ऊपर हमारे…
गीले बादल, पीले रजकण, सूखे पत्ते, रूखे तृण घन लेकर चलता करता 'हरहर'--इसका गान समझ पाओगे? तुम तूफान समझ पाओगे? ग…
पेट का धंधा ख़त्म कर लौटता हूँ साँझ को घर बंद घर पर, बंद ताले पर थकी जब आँख जाती। तब किसी की याद आती! रात गर्मी से झुलस…
डाल पर बोलता है पपीहा— ‘हो भला प्राणधन, तुम कहीं—? हा!’ आ मिला हो जहाँ। पी! कहाँ? पी! कहाँ? प्यास से मर रहे दीन चात…
अब जागो जीवन के प्रभात ! वसुधा पर ओस बने बिखरे हिमकन आँसू जो क्षोभ भरे उषा बटोरती अरुण गात ! अब जागो जीवन के प्रभात ! त…
मैं अकेला; देखता हूँ, आ रही मेरे दिवस की सान्ध्य बेला । पके आधे बाल मेरे हुए निष्प्रभ गाल मेरे, चाल मेरी मन्द होती आ रह…
हिन्दु महोदधि की छाती में धधकी अपमानों की ज्वाला, और आज आसेतु हिमाचल मूर्तिमान हृदयों की माला । सागर की उत्ताल तरंगों म…
एक भी आँसू न कर बेकार जाने कब समंदर मांगने आ जाए! पास प्यासे के कुआँ आता नहीं है यह कहावत है, अमरवाणी नहीं है और जिस के…
देवता थे वे, हुए दर्शन, अलौकिक रूप था देवता थे, मधुर सम्मोहन स्वरूप अनूप था देवता थे, देखते ही बन गई थी भक्त मैं हो गई …
नये वर्ष में नयी फसल के ढेर अन्न का लग जाता है। यह धरती है उस किसान की। नहीं कृष्ण की, नहीं राम की, नहीं भीम की, सहदेव,…
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है जो रवि के रथ का …
बदनाम रहे बटमार मगर, घर तो रखवालों ने लूटा मेरी दुल्हन-सी रातों को, नौ लाख सितारों ने लूटा दो दिन के रैन बसेरे की, हर च…
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार आज सिन्धु ने विष उगला है लहरों का यौवन मचला है आज ह्रदय में और सिन्धु में साथ उठा…
द्रव्य नहीं कुछ मेरे पास फिर भी मैं करता हूँ प्यार रूप नहीं कुछ मेरे पास फिर भी मैं करता हूँ प्यार सांसारिक व्यवहार न ज…
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