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क्षेत्रवाद की राजनीति पर कविता | Kshetravad ki rajniti Par Kavita | भारतीय राजनीति पर कविता | Poem on Indian Politics in Hindi




भारत रतन राजेंद्र बाबू
जिस मिट्टी में जन्म लिया,
आज उनके औलादों को
राज ठाकरे ने गाली दिया। 

बाल ठाकरे के कोख से जन्म 
खुद को कहते लीडर हैं,
मराठा मानुष के नाम पर लुटते
ये वास्तव में गीदड़ है। 

भाषा के नाम पर राजनीति कहते 
मरथति का करते नुमाईश हैं,
इन्हे क्या पता मराठी भाषा 
हिंदी की ही  पैदाईश हैं। 

वैलेंटाइन  डे के नाम पर इनको
हो जाती है खूब एलर्जी,
किन्तु शीला, मुन्नी संग ये
स्टेज पर करते अपनी मनमर्जी। 

महाराष्ट्र की जिस पावन धरती ने
शिवाजी, अम्बेडकर को जन्म दिया,
आज राजनीति के नाम पर
इस ठाकरे ख़ानदान ने कलंकित किया। 

चौड़ा हो जाता है सीना
जब नाम सचिन का आता है,
"पहले भारतीय हूँ फिर मराठी"
यह ठाकरे के मुँह पर तमाचा है। 

क्रिकेट जगत में इस भगवान का
चाहने वालों की आँधी है,
सरकार जिसके इशारे से हिले
अन्ना इस युग का गाँधी है। 

एकतरफ अन्ना हजारे,
दूसरी तरफ है सचिन प्यारे,
एक के डॉ से भ्र्ष्टाचारी डरते
दूसरे के डॉ से गेंदबाज बेचारे। 
ये हैं भारत के सच्चे पुत्र,
तभी तो जनता इनकी आरती उतारे। 

अब मुर्ख नहीं रह गई जनता,
वे तुम्हारी मंशा समझती हैं,
सच्चे अर्थ में करो देश की सेवा
अब तुमसे हमारी विनती है। 

क्षेत्रवाद की राजनीति में
इसे मत बनाओ नफरत का नीड़,
एक को झेल रहे वर्षो से
मंजूर नहीं अब दूसरा कश्मीर।

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