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घायल हिन्दुस्तान | Ghayal Hindustan Kavita | हरिवंशराय बच्चन जी की कविता: घायल हिन्दुस्तान | हरिवंशराय बच्चन

घायल हिन्दुस्तान | Ghayal Hindustan Kavita | हरिवंशराय बच्चन जी की कविता: घायल हिन्दुस्तान | हरिवंशराय बच्चन


मुझको है विश्वास किसी दिन
घायल हिंदुस्तान उठेगा।

दबी हुई दुबकी बैठी हैं
कलरवकारी चार दिशाएँ,
ठगी हुई, ठिठकी-सी लगतीं
नभ की चिर गतिमान हवाएँ,

अंबर के आनन के ऊपर
एक मुर्दनी-सी छाई है,

एक उदासी में डूबी हैं
तृण-तरुवर-पल्लव-लतिकाएँ;
आंधी के पहले देखा है
कभी प्रकृति का निश्चल चेहरा?

इस निश्चलता के अंदर से
ही भीषण तूफान उठेगा।
मुझको है विश्वास किसी दिन
घायल हिंदुस्तान उठेगा।

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