HOT!Subscribe To Get Latest VideoClick Here

Ticker

6/recent/ticker-posts

पौधे की खुशी | Paudhe Ki Khushi Kavita | विश्व पर्यावरण दिवस हेतु कविता | द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

पौधे की खुशी | Paudhe Ki Khushi Kavita | विश्व पर्यावरण दिवस हेतु कविता | द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी


माटी के नीचे गहरे में
एक बीज मैंने बोया था 
उसी बीज में गहरी निद्रा
में नन्हा पौधा सोया था।

पौधा समझ रहा था सारी 
दुनिया में है सिर्फ़ अँधेरा 
क्योंकि अभी तक उसने देखा 
कभी नहीं था स्वर्ण सवेरा ।

टप टप गिरकर बूँदों ने
तब उसको जा स्वयं जगाया 
कहा- उठो, आँखें खोलो 
देखो दुनिया की अद्भुत माया ।

उत्तर गगन से नन्ही किरणों
ने उसको आ स्वयं जगाया
कहा- उठो, आँखें खोलो 
देखो दुनिया की अद्भुत माया ।

सर सर करती हुई 
हवा ने दे आवाज उसे जगाया 
कहा- उठो, आँखें खोलो 
देखो दुनिया की अद्भुत माया ।

कलकल करती सरिता की 
नन्ही लहरों ने उसे जगाया
कहा- उठो, आँखें खोलो 
देखो दुनिया की अद्भुत माया ।।

सुन इन सबकी आवाजें, ली 
पौधे ने मोठी अँगड़ाई, 
आँख खोल देखा तो सचमुच 
दुनिया अद्भुत दो दिखलाई।

नील गगन, मृदु मंद पवन, रवि 
उज्ज्वल, शीतल चाँद चाँदनी 
झलमल तारागण हिम के कण 
सरिता कल कल कल निनादिनी

खगकुल कलरव तरु का वैभव 
खिलते सुंदर सुमन सुहाने 
प्रात सुनहरे साँझ सुनहरी 
हरी घास पर लुटे खजाने ।

अब तो उसका रहा खुशी का
और हर्ष का नहीं ठिकाना 
देख चकित रह गया झूमता 
दुनिया का वह दृश्य सुहाना ।

x..........................................................................................x.......................................................................................................................x

#Tags: पर्यावरण प्रदूषण पर कविता,पर्यावरण पर कविता हिंदी में,पर्यावरण दिवस पर दोहे,पर्यावरण पर छोटी सी कविता,पर्यावरण संरक्षण पर कविता,environment day poem in hindi,environment poem in hindi,hindi poem on save environment,paryavaran diwas par kavita,poem of environment in hindi,poem on environment day in hindi,poem on environment in hindi,poetry on environment in hindi,save environment poem in hindi,world environment day poem in hindi

Post a Comment

0 Comments

close