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सात्विक भोजन पर कविता | Satvik Bhojan Par Kavita | संतुलित आहार पर कविता | Santulit aahar par kavita in hindi


संतुलित आहार पर कविता, सात्विक भोजन,Satvik bhojan

दारू, माँस और मछली से
सदा तन को दूर रखो,
शाग-सब्जी, दूध, दही 
भोजन में तुम भरपूर रखो। 

जैसा खाओगे तुम अन्न 
वैसा होगा तेरा मन,
सात्विक भोजन ही लेना है 
तुम याद इसे जरूर रखो। 

सदा जीवन उच्च विचार 
ही जीवन में अपनाना है,
मन प्रसन्न हो जाए दूजो का
चेहरे पर ख़ुशी का नूर रखो। 

जीव को काट क्र खाना 
नहीं सभ्यता अपनाना है,
संतो ने जो सिखलाया है
उस पर तुम गुरुर रखो। 

सच्चे लोगों की शरण में 
जीवन हमें बिताना है,
दूर जो कर दे बुरे कर्म से 
संगत ऐसी जरूर रखो। 

दूध गाय का पीओ छक के
घी खाना तुम मत भूलो,
है परिवेश को शुद्ध रखना तो 
द्वार पर गाय का खुर रखो। 

बीड़ी, सिगरेट और तम्बाकू 
सपने में ना छूना तुम,
नशा कोई त्यागा न जाए 
स्वयं को इतना मत मजबूर रखो। 

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