हम मिट्टी के लोग है बाबू,
मिट्टी ही सदा उड़ाएंगे ।
मिट्टी में सने मिट्टी के बने,
फिर मिट्टी के हो जाएंगे ।
जब आग लगेगी दुनिया में,
मिट्टी उसे बुझाएगी ।
जब भूख से दुनिया रोएगी,
मिट्टी में फसल उगाएंगे ।।
उस मिट्टी से कोरेंगे सोना,
माथे के मुकुट बनाएंगे ।
मिट्टी में सने मिट्टी के बने,
फिर मिट्टी के हो जाएंगे ।।
जब कोई घर जो अंधेरा देखेंगे,
मिट्टी के दिए से भर देंगे ।
चौखट पे रखी तलवारो को,
पिघलाकर मिट्टी कर देंगे ।।
उस मिट्टी से लिपेंगे आँगन,
मिट्टी के कलस बनाएंगे।
मिट्टी में सने मिट्टी के बने,
फिर मिट्टी के हो जाएंगे ।।
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