यार जादूगर तेरी माया
कोई समझ न पाया
पहेली बनाई सोने की लंका
फिर सोने को जलाया -२
यार जादूगर कहना तेरा घर -२
जगत मट्टी का ढेला रे................
कौन रचैया नाच नचाये रचेह खेला रे....................।।
यार जादूगर कहना तेरा घर
जैसे बिन के आगे नागन
जैसे झूमे मासन में जोगन -२
वैसे हम माया के आगे
माया हमसे आगे भागे -२
लेके कर्म के माटी का थैला रे
जगत मट्टी का ढेला रे......................।
यार जादूगर कहना तेरा घर
एक दिन माथे पर है ताज
एक दिन गर्दन बिन सरताज -२
हो माटी पकने को मांगे आग
उसे से तपे उसे से राख -२
एक दिन ख़त्म झमेला रे
जगत मट्टी का ढेला रे....................।।
यार जादूगर कहना तेरा घर
छीना झपटी है संसार
दुनिया एक बिजली की तार/ताज -२
जीवन उतने भर का खेल
जितना इंजन में है तेल -२
आता जाता रेला रे
जगत मट्टी का ढेला रे.........
यार जादूगर कहना तेरा घर..........।।
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