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यार जादूगर | Yaar Jadugar | जगत माटी का ढेला | Title Track | Nilotpal Mrinal |


यार जादूगर तेरी माया 
कोई समझ न पाया
पहेली बनाई सोने की लंका
फिर सोने को जलाया -२
यार जादूगर कहना तेरा घर -२
जगत मट्टी का ढेला रे................
कौन रचैया नाच नचाये रचेह खेला रे....................।। 

यार जादूगर कहना तेरा घर

जैसे बिन के आगे नागन
जैसे झूमे मासन में जोगन -२
वैसे हम माया के आगे
माया हमसे आगे भागे -२ 
लेके कर्म के माटी का थैला रे
जगत मट्टी का ढेला रे......................। 

यार जादूगर कहना तेरा घर

एक दिन माथे पर है ताज
एक दिन गर्दन बिन सरताज -२ 
हो माटी पकने को मांगे आग
उसे से तपे उसे से राख -२ 
एक दिन ख़त्म झमेला रे
जगत मट्टी का ढेला रे....................।। 

यार जादूगर कहना तेरा घर

छीना झपटी है संसार
दुनिया एक बिजली की तार/ताज -२ 
जीवन उतने भर का खेल
जितना इंजन में है तेल -२ 
आता जाता रेला रे

जगत मट्टी का ढेला रे.........
यार जादूगर कहना तेरा घर..........।। 


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