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जहां चित्त भय से शून्य हो | Where the mind is without fear हिंदी अनुवाद शिवमंगल सिंह सुमन



जहां चित्त भय से शून्य हो 

जहां हम गर्व से माथा ऊंचा करके चल सकें 

जहां ज्ञान मुक्त हो 

जहां दिन रात विशाल वसुधा को खंडों में विभाजित कर 

छोटे और छोटे आंगन न बनाए जाते हों


जहां हर वाक्य हृदय की गहराई से निकलता हो 

जहां हर दिशा में कर्म की अजस्र नदी के स्रोत फूटते हों 

और निरंतर अबाधित बहते हों 

जहां विचारों की सरिता तुच्छ आचारों की मरू भूमि में न खोती हो 

जहां पुरूषार्थ सौ सौ टुकड़ों में बंटा हुआ न हो 

जहां पर सभी कर्म, भावनाएं, आनंदानुभुतियाँ तुम्हारे अनुगत हों


हे पिता, अपने हाथों से निर्दयता पूर्ण प्रहार कर 

उसी स्वातंत्र्य स्वर्ग में इस सोते हुए भारत को जगाओ



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