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अंधों को दर्पण क्या देना कविता | Andho Ko Darpan Kya Dena Kavita

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अंधों को दर्पण क्या देना,बहरों को भजन सुनाना क्या,
जो रक्त पान करते उनको,गंगा का नीर पिलाना क्या ||


हमने जिनको दो आँखे दीं, वो हमको आँख दिखा बैठे,
हम शांति यज्ञ में लगे रहे,वो श्वेत कबूतर खा बैठे ||


वो छल पे छल करता आया,हम अड़े रहे विश्वासों पर,
कितने समझौते थोप दिए,हमने बेटों की लाशों पर  ||


अब लाशें भी यह बोल उठीं,मत अंतर्मन पर घात करो,
दुश्मन जो भाषा समझ सके,अब उस भाषा में बात करो ||


वो झाडी है,हम बरगद हैं, वो है बबूल हम चन्दन हैं,
वो है जमात गीदड़ वाली,हम सिंहों का अभिनन्दन हैं ||


ऐ पाक तुम्हारी धमकी से,यह धरा नही डरने वाली,
यह अमर सनातन माटी है,ये कभी नही मरने वाली ||


तुम भूल गए सन अड़तालिस,पैदा होते ही अकड़े थे,
हम उन कबायली बकरों की गर्दन हाथों से पकडे थे ||


तुम भूल गए सन पैसठ को,तुमने पंगा कर डाला था,
छोटे से लाल बहादुर ने तुमको नंगा कर डाला था ||


तुम भूले सन इकहत्तर को,जब तुम ढाका पर ऐंठे थे,
नब्बे हजार पाकिस्तानी,घुटनो के बल पर बैठे थे ||


तुम भूल गए करगिल का रण,हिमगिरि पर लिखी कहानी थी,
इस्लामाबादी गुंडों को जब याद दिलाई नानी थी ||


तुम सारी दुर्गति भूल गए,फिर से बवाल कर बैठे हो,
है उत्तर खुद के पास नही हमसे सवाल कर बैठे हो ||


बिगड़ैल किसी बच्चे जैसे आलाप तुम्हारे लगते हैं,
तुम भूल गए हो रिश्ते में हम बाप तुम्हारे लगते हैं ||


बेटा पिटने का आदी है,बेटा पक्का जेहादी है,
शायद बेटे की किस्मत में,बर्बादी ही बर्बादी है ||


तेरी बर्बादी में खुद को,बर्बाद नही होने देंगे,
हम भारत माँ के सीने पर जेहाद नही होने देंगे ||


तू रख हथियार उधारी के,हम अपने दम से लड़ लेंगे,
गर एटम बम से लड़ना हो तो एटम बम से लड़ लेंगे ||


जब तक तू बटन दबायेगा,हम पृथ्वी नाग चला देंगे,
तू जब तक दिल्ली ढूंढेगा,हम पूरा पाक जला देंगे ||


यह कवि कहे,गर फिर से आँख दिखाओगे,
तुम सवा अरब के भारत की मुट्ठी से मसले जाओगे ||


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