HOT!Subscribe To Get Latest VideoClick Here

Ticker

6/recent/ticker-posts

भय बिन होय न प्रीत गुसांई | Bhay Bin Hoy Na Preet Gusain | Hariom Pawar | हरिओम पंवार



रामायण सिखलाती है
राम-धनुष के बल पर ही तो सीता लंका से आती है
जब सिंहों की राजसभा में गीदड़ गाने लगते हैं
तो हाथी के मुँह के गन्ने चूहे खाने लगते हैं

केवल रावलपिंडी पर मत थोपो अपने पापों को
दूध पिलाना बंद करो अब आस्तीन के साँपों को
अपने सिक्के खोटे हों तो गैरों की बन आती है
और कला की नगरी मुंबई लोहू में सन जाती है

राजमहल के सारे दर्पण मैले-मैले लगते हैं
इनके ख़ूनी पंजे दरबारों तक फैले लगते हैं
इन सब षड्यंत्रों से परदा उठना बहुत जरुरी है
पहले घर के गद्दारों का मिटना बहुत जरुरी है

पकड़ गर्दनें उनको खींचों बाहर खुले उजाले में
चाहे कातिल सात समंदर पार छुपा हो ताले में
ऊधम सिंह अब भी जीवित है ये समझाने आया हूँ
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ 

x..........................................................................................x.......................................................................................................................x

#Tags: भय बिन होय न प्रीत गुसांई भय बिन होय न प्रीत गोसाई bhay bin hoy na preet gusain bhay bin hoy na preet gusaanee Hariom Pawar हरिओम पंवार kavita कविता घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ


Post a Comment

0 Comments

close