मन स्वपन देखता रह जाए
तन अपनी भाषा कह जाए
हो जाए पुतलियाँ सागर सी
नैनो से गागर बह जाए ।।
जब अंदर-अंदर से कोई
हर दफन राज़ को खोलेगा
तो अम्बर में कंपन होगा
धरती का सय्यम डोलेगा ।।
लेकिन यदि आप सचेत होए
पतझर पहाड़ हो जाएगा
तन में पवित्रता आएगी
मन मोक्ष प्राप्त हो जाएगा ।।
आभा मंडल पढ़ जाएगा
युग का सिंगर हो जाएगा
बेटियाँ नहीं बच पाईं तो
जग छार-छार हो जाएगा ।।
इसलिए आइए हमारे साथ आइए
जिंदगी को अपनी न दाव पर लगाइए
सपथ तुरंत आज सब लो खाइए
देश को बचाना है तो बेटियाँ बचाइए ।।
स्वर लता दे रही है जिसमें
विष पीती मीरा बाई है
पद्विनि करे जौहर वर्त को
बलिदानी पन्ना धाई है ।।
लक्ष्मी बाई, जीजाबाई है
उद्धरण बलिदानो के
चढ़ सिंध सिखर बछेंद्री ने
काटे है कान जवानो के ।।
कल्पना चावला सी बेटी
स्वम् इतिहास रचाती है
बेटी कर्तव्य निभाने में
इंद्रा अमर हो जाती है ।।
कालपाएगा जो बेटी को
ओ लोग कैसे कल पायेगा
बेटियाँ नहीं बच पाई तो
जग छार-छार हो जाएगा ।।
इसीलिए आई हमारे साथ आइए
सोये हुए वात्सलय भाव को जगाइए
आज न कल में समय गवैये
देश को बचाना है तो बेटियाँ बचाइए ।।
करबद्ध निवेदन है सबसे
अनुरोध मेरा स्वीकार करो
जितना बेटे से करते हो
उतना बेटी से प्यार करो ।।
आचरण करो दुर्भावहीन
मोक्ष द्वार खुल जाएंगे
जितने भी पाप की होंगे
बिन गया गए धूल जायेंगे ।।
दुःख के बादल छड़ जायेंगे
कुंख के बादल छड़ जायेंगे
बेटी की एक किलकारी में
ये जूही, चमेली, चम्पा सी
महके घर की फूल बारी में ।।
कल-कल स्वर देगी भागीरथी
मन हरिद्वार हो जाएगा
बेटियाँ नहीं बच पाई तो
जग छार-छार हो जाएगा ।।
अपना को सारधा ममता को अपनाइए
घर, द्वार, देहरी पर सम्पदाएँ पाई
कांटे बाबुल के मत पछताए
देश को बचाना है तो बेटियाँ बचाइए ।।
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