जिंदगी के पन्नों पर
क्या क्या लिखूं
बहती चली जा रही धार लिखूं
या ठहरा नीला आकाश लिखूं
जिंदगी के पन्नों पर
क्या - क्या लिखूं
कहो तो हर हाल लिखूं
कितना संघर्ष या धैर्य का
पूरा अध्याय लिखूं
कहो जिंदगी के पन्नों
पर कौन सा नया पाठ लिखूं
सम - विषम के परिणाम लिखूं
या बिता हुआ भेदभाव लिखूं
जिंदगी के पन्नों पर
कितने अहसास लिखूं
खुद को खो कर समाज लिखूं
तराजू पर बिना चढ़े
हो चुकी स्त्री की हर मोल भाव लिखूं
जिंदगी के पन्नों पर
कितने पड़ाव लिखूं
हंसी ठहाकों का किताब लिखूं
या छुपाई गई गमों का हिसाब लिखूं
जिंदगी के पन्नों पर
क्या -क्या लिखूं
खुद को लिख रही मैं
तुम्हें भी बेहिसाब लिखूं
जिंदगी के पन्नों पर
कितने किताब लिखूं
धूंध सा उठता असत्य
या धरती सा अडिग सत्य लिखूं
जिंदगी के पन्नों पर
लहराता कर्म का परचम लिखूं
कहो जिंदगी के कितने रंग लिखूं।।
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