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लक्ष्य से तू न विचलना हिंदी कविता | Lakshya se tu na vichalna hindi kavita | Kavi Sandeep Dwivedi

लक्ष्य से तू न विचलना हिंदी कविता,Lakshya se tu na vichalna hindi kavita kavita,Kavi Sandeep Dwivedi




राह में तू ना बिखरना... 

लक्ष्य से तू ना विचलना... 

देखती है तुझको मंजिल 

तू बस उसी की ओर चलना


शूल पंक सब ख़ास ही हैं 

तूफान आना लाज़मी है 

रात भी लेकर अंधेरा 

तुझको डराए यह भी सही है


तब हौसले की ढाल पर, 

नजरों का दिव्य प्रकाश कर 

छुड़ाकर सबका पसीना, 

वहां है तुझको पहुंचना


राह में तू ना बिखरना... 

लक्ष्य से तू ना विचलना... 

देखती है तुझको मंजिल 

तू बस उसी की ओर चलना


होना है जो वही होगा 

भाग्य का जो लेख होगा.. 

भाग्य का निर्माता है 

तू ऐसे कैसे जो भी होगा


खुद को हवा से तेज कर 

दावा चमक के वेग पर.. 

अथक, अविचल, सतत् चलकर 

वहां है तुझको पहुंचना

राह में तू ना बिखरना... 

लक्ष्य से तू ना विचलना... 

देखती है तुझको मंजिल 

तू बस उसी की ओर चलना


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