न मास्क है न है कोई दुरी
न जाने कोण सी है मज़बूरी
एक दूजे को रेल रहे है
हम ज़िंदगी से खेल रहे है।
उम्मीद की किरणे छाई है
मुश्किल से खुशिया आयी है
मुशिबतों के दाग धूल गए है
बंद पड़े बाज़ार खुल गए है।
न सुधरे तो काले बादल फिर छाएंगे
लेकिन अबकी लॉकडाउन लगा
तो कारण हमलोग कहलाएंगे
विपदा जैसे खोज रही रॉन
मूह फाड़े बैठा है ओमिक्रोन (Omicron)।
कोई कविता और कहानी रच नहीं पाएँगे
अब लेहेर से बच नहीं पाएँगे
ब्रिटेन, अमेरिका सब लूट रहे है
बहुत से लोगों का दम घुट रहे है।
क्या चाहते हो फिर नींद और खर्रटा
जहाँ निकलो बस दिखाई दे सन्नाटा
बहुत मुश्किल से बच पाएँगे
लेकिन अबकी लॉकडाउन लगा
तो कारण हमलोग कहलाएंगे।
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