ये आसमां छीन गया तो क्या ?
नया ढूंढ लेगे,
हम वो परिंदे नहीं जो
उड़ना छोड़ देंगे।
मत पूछ, हौंसलें हमारे
आज कितने विश्रब्ध हैं,
एक नई शुरूआत, नया
आरंभ तय है...
माना अभी हम निःशब्द है !
ये पारावर छूट गया तो क्या ?
नया सागर ढूंढ लेंगे,
हम वो कश्तियां नहीं जो
तैरना छोड़ देंगे !!
कदम चलते रहेंगे...
जब तक श्वास है,
परिस्थिति से परे
स्वयं पर हमें विश्वास है,
एक रास्ता मिला नहीं तो क्या
नई राहें ढूंढ लेंगे,
हम वो मुसाफिर नहीं जो
चलना छोड़ देंगे !!
ख्वाबों को महकता रखते हैं,
हम मंजिलों से राब्ता रखते हैं,
नशा हमें हमारी फितरत का,
हर हार करती है बुलंद...
इरादा जीत का!
ये मुकाम नहीं हासिल तो क्या ?
नये ठिकाने ढूंढ लेंगे,
हम वो शय नहीं जो
अपनी तलाश छोड़ देंगे !!
हम वो परिंदे नहीं जो
उड़ना छोड़ देंगे।
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