आज कल के लोग भी क्या शौक़ फरमा रहे है
पैसे देकर भी अपने लिए मौत खरीदकर ला रहे है
उसके ऊपर लिखा होता है लोग उसे खाने से मर जाते है
पता नहीं लोग वो तम्बाकू क्यों खाते है
क्या तम्बाकू के ऊपर कुछ नहीं उनके पास में ?
क्या परिवार वाले नहीं है उनकी आस में ?
ये तम्बाकू पहले आपकी इच्छा को सन्तुष्ट कर देगा
फिर आपकी सुंदर प्रवति को दुष्ट कर देगा
पता नहीं किसने बनाया ये ज़हर ज़माने के लिए?
क्या तम्बाकू से मरने वालो का अकड़ा कम रह गया
इसका खतरा बताने के लिए?
अरे इससे दूर हो जाते हो तुम ज़माने से
ऐसा क्या मिलता है इसे खाने से?
क्यों इसे खाके अपने आप को सजा दे रहे हो ?
हम तो मुफ्त में भी न ले ज़हर तुम पैसे देके ले रहे हो!
ये ज़हर कब किसी के प्यार से बड़ा हुआ?
उस प्यार को वापिस लाओ जिसके सामने ये आ खड़ा हुआ
इसे खाने से होती है मौत ये भी इसके ऊपर गड़ा हुआ
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