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Mahabharat Rap Lyrics | सत्य असत्य क्लेश कलंक द्वापर युग की कहानी | Mahabharat Rap feat. WOKAL

Mahabharat Rap Lyrics,सत्य सत्य क्लेश कलंक द्वापर युग की कहानी,Mahabharat Rap feat WOKAL



सत्य असत्य कलेश कलंक
द्वापर युग की कहानी ये
हस्तिनापुर में बीता जो
वो सामने सबके लानी है

100 पुत्र गांधारी के
और कुंती को 6 का वरदान
कुछ पांडव कह लाए और
बाकी को मिला कौरव का नाम

दुर्योधन को योजना आई
भोजन में फिर विशेष था मिला
भीम को मारने की वंशा थी
बाल भी बाकन ना हो पाया

आयोजित हुई ऐसी सभा
सब वीर हुए थे जमा वहाँ
भीम ने जो फिर गदा घुमाया
सम्मोहित था सारा समा

जाति कुल सम्मान को लेकर
कौशल का देने प्रमाण
कर्ण ने अर्जुन को ललकार
सूत पुत्र को मिली पहचान

ऐसा फिर षड्यंत्र रचा जो
पांडु वंश का अंत करे
बचा लिया पर विदुर ने उनको
पांडव वन प्रस्थान करे

फिर ऐसा संदेश आया
न्योता जो स्वयंवर का लाया
होड़ मची थी वीरो की पर
अर्जुन का परचम लहरया

भ्राता और पत्नी सहित
घर अब वो लौट चले
बिन देखे माता ने कहा
वो शब्द भी दिल को भेद चले

शकुनि का प्रपंच सुनो
पासो को फेका जाल बुना
धर्मराज कुछ समझ न पाया
राज पाठ गाया मान गवाया

दुशासन का दुस्साहस देखो
केश पकड़ द्रौपदी को लाया
पुरखों को कलंकित करके
न देख सका गोविंद की माया

भीम ने फिर ली प्रतिज्ञा
दुर्योधन जंघा मैं तोडुंगा
लहू को फिर दुशासन के
मैं धड़ से अलग निचोडुंगा

बड़ा साल वो बीत चले
और तेरवां था अज्ञातवास
ध्वनि सुनी गांडीव कि
और युद्ध का हुआ आभास

कृष्ण की सेना कौरव की
खुद कृष्णा चले अर्जुन के संग
फिर युद्ध छेड़ा और जहान भी
देखा चारो और लहू का रंग

अर्जुन के मन में शंका थी
कैसे उनपे प्रहार करे
गीता का उसे सार सिखया
अधर्म का वो संगर करे

युद्ध का आया पहला दिन
तीरों की वर्षा होने लगी
भीष्म जो आए रथ पे तोह
पांडु सेना भी ध्वस्थ लागी

दूजा दिन जब युद्ध का आया
अर्जुन ने कौशल दिखला
शास्त्रों की तकरार हुई और
भीष्म न आगे बढ़ पाया

वरदान मिला था मृत्यु
भी इच्छा से हो
पर शास्त्र उठे न सामने
जब शिखंडी हो

खुद अपना ही राज बताया...

मौत को फिर खुद गले लगाया
अर्जुन तीरो से शैया बनी
प्यास लगी पितामह को तोह
वो भी अर्जुन से ही बुझी

जिसको कोई तोड़ सके ना,
ऐसे व्यूह की रचना कर दी
तोड दिया एक बालक ने उस
अभिमन्यु की हत्या करदी

कैसा इनका हाथ है
और कैसा इनका है ये धर्म
एक तराफ जलती है चिता
और दूजी और चलनी है बदन

युद्ध हुआ देखा वो ऐसा भीषण
तीर चला और दूजा आया
करण जो रथ से उतर तोह
एक तीर हृदय को चीयर आया

हुआ सर्वनाश था चारो ओर 
अब विनाश था चारो ओर 
धड़ सर से अलग अब गिरने लगे
अधर्मी सब अब मरने लगे

धृतराष्ट्र 100 पुत्रों की सांख्य अब कम होने लगे

शकुनि का भी अंत हुआ
और था अब वध दुशासन का
उसके सीने को चीर दिया
अब लहू के संग शवासन था

दुविधा में दुर्योधन था
जीत का कोई असार नहीं
युद्ध में कैसे विजय मिले
जीवन का बस आधार यही

वज्र का उसका कवच मिला
पर झंघा में कमज़ोरी थी
मातृ प्रेम और शिव आवाहन
से शक्ति बटोरी थी

एक शिष्य बलराम का था
और दूजे संग थी कृष्णा की माया
फिर कंपन महसूस हुई जो
दोनो के गदा से आया

दो योद्धा का बल टकराया
भीम लगा था कुछ असहाय
देखा जब मुरली ने तोह
इशारों में था कुछ समझया

समझ के उस इशरे को
जब गदा भीम ने मारा वो
दुर्योधन झांघा टूट गई
न उठ पाया दोबारा वो

अधर्मियों का विनाश हुआ
अंत में धर्म भी जीत गया
द्वापर युग भी बीत गया
और कलयुग का आरंभ हुआ

और ये महाभारत की कहानी और अब कलयुग में विष्णु भगवान कल्कि का अवतार लेकर आएंगे



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2 Comments

  1. Very good lyrics and song that it is now settled in my mind 1😇😊 Jay shree. Krishna🕉🕉🕉🕉🕉

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  2. Kya rap very very nice

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