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चल रे मटके टम्मक टूँ | Chal Re Matke Tammak Toon

चल रे मटके टम्मक टूँ | Chal Re Matke Tammak Toon


हुए बहुत दिन बुढ़िया एक 
चलती थी लाठी को टेक 

उसके पास बहुत था माल 
जाना था उसको ससुराल 

मगर राह में चीते शेर 
लेते थे राही को घेर 

बुढ़िया ने सोंची तदबीर 
जिससे चमक उठी तक़दीर 

मटका एक मंगाया मोल 
लंबा लंबा गोल मटोल 

उसमे बैठी बुढ़िया आप 
वह ससुराल चली चुपचाप 

बुढ़िया गाती जाती यूँ 
चल रे मटके टम्मक टूँ

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