मंजिलें मिले न मिले, ये तो मुकद्दर की बात है,
हम कोशिश ही न करे, ये तो गलत बात है।
जिंदगी ज़ख्मों से भरी है, वक़्त को मरहम बनाना सीख लो।
हारना है तो एक दिन मौत से, फ़िलहाल जिंदगी जीना सीख लो।।
जिंदगी जब ज़ख्म पर दे, ज़ख्म तो हंसकर हमें।
आजमाइश की हदों को आजमाना चाहिए।।
अभी मुठ्ठी नहीं खोली है मैंने, आसमां सुन ले।
तेरा बस वक़्त आया है, मेरा तो दौर आएगा।।
हुकूमत बाजुओं के ज़ोर पर, तो कोई भी कर ले।
जो सबके दिल पे छा जाए, उसे इंसान कहते हैं।।
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है।
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा।।
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