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मैं रावण ही ठीक हूँ | Mai Ravan Hi Thik Hun | Ravan Vaani Part-2 | Shekhar Deep aka Ravan

मैं रावण ही ठीक हूँ | Mai Ravan Hi Thik Hun | Ravan Vaani Part-2 | Shekhar Deep aka Ravan


बेहाल इतने रहे है हम कि आज खुद के हाल भूल गए,
ये ऊँची उड़ान भरने वाले परिंदे लगता है गुलेल कि मार भूल गए,
और एक वक़्त तक खामोश क्या बैठा रावण,
लगता है तुम दुनिया वाले मेरी तलवार की धार भूल गए

फिर चाहे भगवान हो या इंसान, मैं सबके लिए एक बहुत बड़ी हानि था
मैं रावण बचपन से ही सर्वश्रेष्ठ और ज्ञानी था
हां थोड़ा बेढंगा, शिव तांडव सा हूँ,
मैं मेरी माँ के आशीर्वाद से थोड़ा दानव सा हूँ

और जब दर्द में भी चीख चीख़कर मैंने तांडव किया,
तब महाकाल ने खुद मेरा नाम रावण लिया
महाकाल के दिए इस नाम को कोई कैसे मिटा सकता है
ना रावण कभी हारा था और ना कोई हरा सकता है

हाँ मेघनाथ के लिए मैंने सारे ग्रहो को ग्यारहवें स्थान पर बैठाया था
मुझ रावण ने यमराज और शनि को अपना बंदी बनाया था
और सूर्य खुद शनि महाराज को बचाने आ गए
सामने देखो कंकर पत्थर, कैलाश को हिलाने आ गए

मुझे बस विश्वासघात के तीरों ने भेदा था
अरे मुझ ज्ञानी से खुद ज्ञान लेने खुद राम ने लक्ष्मण को भेजा था
हाँ मैंने बुराई को जन्म दिया, मैंने अपनी ताकत पर घमंड किया
मुझे एक नहीं, साल में हजार बार जला दो

अरे छोड़ो मुझ रावण की बात, तुम मुझे थोड़ा ही सही राम बनकर दिखा दो
घमंड मुझमें, मैं का होना जरुरी है
और रावण होना बच्चों का खेल थोड़ी है
जमी धूल मेरे नाम से हट जाएगी

जब मेरे वक़्त की आँधी चल जाएगी
और ये आज जो नफरत नफरत करते है ना, ये भी रावण रंग में रंग जायेंगे
एक वक़्त के बाद ये भी भीड़ का हिस्सा बन जायेंगे
लिबास काला, आवाज काली, मैं अँधेरे का प्रतीक हूँ
तुम सब राम बन जाओ, मैं रावण ही ठीक हूँ

हंसने वालो के नाम के साथ साथ चेहरे भी याद है
गलती मेरी रही कहीं वरना इनकी इतनी कहाँ औकात है
कि बता दूँ, निहत्थे हाथ से घायल शेर पर वार नहीं करते
और ये नदी नाले ना समंदर पर हुंकार नहीं भरते
कि हाँ हूँ घमंडी, जिस रास्ते से गुजर जाऊँ, फिर उस रास्ते झांकता नहीं हूँ
मैं रावण हूँ मेरी जान, थूक के चाटता नहीं हूँ

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