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मस्तक नहीं झुकेगा | Mastak Nahi Jhukega | अटल बिहारी वाजपेयी

मस्तक नहीं झुकेगा | Mastak Nahi Jhukega | अटल बिहारी वाजपेयी



एक नहीं दो नहीं, करो बीसों समझौते,
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा,

अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतंत्रता,
अश्रु, शोक, शौर्य से सिंचित यह स्वतंत्रता,
त्याग, तेज, तप बल से रक्षित यह स्वतंत्रता
दुखी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतंत्रता,

इसे मिटाने की साज़िश करने वालो से कह दो 
चिंगारी का खेल बुरा होता है,
औरो के घर आग लगाने का जो सपना 
वह अपने ही घर में सदा खरा होता है
अपने ही हाथो तुम अपनी कब्र न खोदो,
अपने पैरो आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ

ओ नादान पड़ोसी अपनी आखें खोलो,
आज़ादी अनमोल न इसका मोल लगाओ,
पर तुम क्या जानो आज़ादी क्या होती है,
तुम्हे मुफ्त में मिली न कीमत गयी चुकाई

अंग्रेज़ों के बल पर दो टुकड़े पाये हैं,
माँ को खंडित करते तुमको लाज न आई?
अमरीकी शास्त्रो से अपनी आज़ादी को 
दुनिया में कायम रख लोगे यह मत समझो
दस-बीस अरब डॉलर लेकर आने वाली 
बर्बादी से तुम बच लोगे यह मत समझो,

धमकी जिहाद के नारो से हथियारों से 
कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो
हमलो से अत्याचारों से संहारो से 
भारत का शीश झुका लोगे यह मत समझो
जब तक गंगा की धार, सिंधु में ज्वार,
अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष;
स्वातंत्र्य समर की वेदी पर 
अर्पित होंगे अगणित जीवन-यौवन शेष

अमरीका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध;
कश्मीर पर भारत का ध्वज नहीं झुकेगा,
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का निश्चय नहीं रुकेगा

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