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वे खुद त्रेता के राम है | Ve Khud Treta Ke Ram Hai | Hindi Poem On Shri Krishna | Mahabharata Poems | हर्ष नाथ झा

वे खुद त्रेता के राम है | Ve Khud Treta Ke Ram Hai | Hindi Poem On Shri Krishna | Mahabharata Poems | हर्ष नाथ झा


वे खुद त्रेता के राम हैं 
वे द्वापर के घनश्याम हैं
कुर्म मत्स्य का रुप धरा,
वे ही बली बलराम हैं

नाग कालिया पर नृत्य किया,
वे गोकुल के ग्वाले हैं
हर एक दुष्ट के प्राण हरे,
वे परशुराम मतवाले हैं

केशव ने तो बाल्य काल में,
दृश्य ऐसा दिखलाया था
पूतना और कई असुरों को,
निःशस्त्र धूल चटाया था

प्रेम पुण्य के साथ ही,
स्वाभिमान का ज्ञान दिया
सत्य की अजेयता का,
उन्होंने प्रमाण दिया

स्त्रियों के प्रतिशोध के लिए,
पूरा कुरुवंश जलाया गया
छाती चीर के उन दुष्टो को,
चिर-निद्रा में लाया गया

अपनी शक्ति से ईश्वर ने,
शिशु पाल को मार दिया
धर्म के खातिर सिंह रुप में,
हिरण्य कश्यप फाड़ दिया

कंस रावण कितने आए,
गिरधर ने उनका संघार किया
गीता का बोध करा,
उन्होंने जीवन का सार दिया

वे ही है कर्ता-कर्म-क्रिया,
वे ही इंद्र सुरेश है
सुग्रीव कर्ण के जनक वे,
वे ही स्वयं दिनेश हैं

लंका को जलाने वाले,
वे हनुमान की मशाल है
जिसके चरणों को चूमती है मृत्यु,
वे ही प्रचंड भद्र-काल है

कल्कि का वो रुप धरकर,
कलियुग में अवश्य आएँगे
हर एक पापी और भक्षक को
वे फिर मार गिराएंगे

तम से बुझे ज्ञान के दीप को,
फिर से कृष्ण जलाएंगे
सतयुग का आरम्भ करने,
वे अवश्य ही आएंगे

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